भारतीय वैदिक दर्शन के अनुसार, संपूर्ण ब्रह्मांड और मानव शरीर पांच मूलभूत तत्वों – पंच महाभूत – से मिलकर बना है। ये हैं:
1. पृथ्वी (भूमि)
2. जल (अप)
3. अग्नि (तेज)
4. वायु (वात)
5. आकाश (आकाश)
2. पंच महाभूत का परिचय
क्रमांक तत्व गुण शरीर में उपस्थिति 1 पृथ्वी स्थायित्व, ठोसपन हड्डियाँ, त्वचा, मांस 2 जल तरलता, स्निग्धता रक्त, लसीका, मूत्र 3 अग्नि ताप, पाचन जठराग्नि, दृष्टि 4 वायु गति, संचार श्वास, नाड़ियों की गति 5 आकाश स्थान, ध्वनि कोशिकाओं के बीच स्थान, कान
क्रमांक | तत्व | गुण | शरीर में उपस्थिति |
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1 | पृथ्वी | स्थायित्व, ठोसपन | हड्डियाँ, त्वचा, मांस |
2 | जल | तरलता, स्निग्धता | रक्त, लसीका, मूत्र |
3 | अग्नि | ताप, पाचन | जठराग्नि, दृष्टि |
4 | वायु | गति, संचार | श्वास, नाड़ियों की गति |
5 | आकाश | स्थान, ध्वनि | कोशिकाओं के बीच स्थान, कान |
3. पंच महाभूत और आयुर्वेदिक दोष
तीन प्रमुख दोष – वात, पित्त, कफ – इन तत्वों से मिलकर बने हैं:
1. वात दोष = वायु + आकाश
2. पित्त दोष = अग्नि + जल
3. कफ दोष = जल + पृथ्वी
संतुलन में रहने पर यह शरीर को स्वस्थ रखता है, असंतुलन पर बीमारी होती है।
4. योग द्वारा संतुलन कैसे लाएँ?
प्रत्येक तत्व को जाग्रत और संतुलित करने के लिए विशेष योगासन और प्राणायाम किए जाते हैं:
1. पृथ्वी तत्व: वृक्षासन, ताड़ासन
2. जल तत्व: मकरासन, जलनेति
3. अग्नि तत्व: सूर्य नमस्कार, कपालभाति
4. वायु तत्व: अनुलोम-विलोम, भ्रामरी
5. आकाश तत्व: ध्यान, त्राटक, मौन साधना
5. चक्र और पंच तत्व
प्रत्येक चक्र एक विशेष तत्व से जुड़ा होता है:
1. मूलाधार चक्र – पृथ्वी
2. स्वाधिष्ठान चक्र – जल
3. मणिपुर चक्र – अग्नि
4. अनाहत चक्र – वायु
5. विशुद्ध चक्र – आकाश
इन चक्रों को जाग्रत करना आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।
6. निष्कर्ष
1. पंच महाभूत ही जीवन का आधार हैं।
2. इनके संतुलन से शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य मिलता है।
3. योग, ध्यान और आयुर्वेदिक जीवनशैली से पंच तत्वों को संतुलन में रखा जा सकता है।
4. इन्हें जानना हमारे आत्म-ज्ञान और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।
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