🛕 काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है और यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे विश्वनाथ या विशेश्वर भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है "विश्व के स्वामी"।
📜 प्राचीन इतिहास
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काशी (वाराणसी) को विश्व का सबसे प्राचीन जीवित नगर माना जाता है।
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काशी विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों जैसे – स्कंद पुराण, कुरमा पुराण और कथासरित्सागर में मिलता है।
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मान्यता है कि स्वयं भगवान शिव यहाँ निवास करते हैं और भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं।
⚔️ आक्रमण और पुनर्निर्माण
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इस मंदिर का कई बार विध्वंस हुआ और पुनर्निर्माण किया गया।
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1194 ई. में मुहम्मद गोरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे नष्ट किया।
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बाद में राजा टोडरमल और राजा मान सिंह ने पुनर्निर्माण कराया।
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1669 ई. में मुगल शासक औरंगज़ेब ने मंदिर को ध्वस्त कर वहाँ ज्ञानवापी मस्जिद बनवा दी।
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वर्तमान मंदिर का निर्माण 1780 ई. में मराठा महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया।
🪙 स्वर्ण शिखर और दान
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मंदिर के शिखर और गुंबद सोने से मढ़े गए हैं।
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1835 ई. में पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने लगभग 1 टन सोना दान करके मंदिर को स्वर्णमय बनाया।
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मंदिर का मुख्य शिखर आज भी सोने से ढका हुआ है।
🌸 धार्मिक महत्त्व
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यहाँ दर्शन और पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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सावन माह, महाशिवरात्रि और श्रावण सोमवार के दिन विशेष भीड़ रहती है।
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यह मंदिर हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
🗺️ आज का काशी विश्वनाथ धाम
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना का शिलान्यास किया।
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दिसंबर 2021 में इसका उद्घाटन हुआ।
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इस कॉरिडोर ने मंदिर परिसर को गंगा घाट से सीधे जोड़ दिया और श्रद्धालुओं की सुविधाओं में वृद्धि की।
✅ निष्कर्ष
काशी विश्वनाथ मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आस्था और इतिहास का प्रतीक है। अनेक बार विध्वंस और पुनर्निर्माण के बाद भी इसकी आभा और महत्व अक्षुण्ण रहा। आज यह मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान का जीवंत उदाहरण भी है।
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